Higher Education - Science and Tech.

06 Dec 2020

अगर हम भारत के हायर एजुकेशन सिस्टम को जर्मनी के सिस्टम से compare करे तो पता चलता है की भारत में स्टूडेंट्स को अपने सब्जेक्ट्स के चुनाव की आजादी नहीं है
हमारा सिस्टम बहोत rigid है
यहाँ यूरोप में स्टूडेंट खुद decide कर सकता हे उसको कोनसे सब्जेक्ट्स पढ़ने है, किस सेमेस्टर में कितने सब्जेक्ट्स पढ़ने हे, कितने साल में अपना कोर्स पूरा करना हे, अगला सेमेस्टर ब्रेक लेना हे या पढ़ना हे, पढाई के साथ कुछ पार्ट-टाइम जॉब करना है वगेरा वगेरा
अब अपने सिस्टम को देखो, सारे सब्जेक्ट्स फिक्स्ड है, electives के नाम पर पुरे इंजीनियरिंग कोर्स मै २-३ सब्जेक्ट्स चिपका देते हैं