भारत मे हर कोई अपने आप को विक्टिम घोषित करने मे तुला हुआ है|
अभी किसान प्रोटेस्ट कर रहे है , कुछ महीने पहले माइनॉरिटी वर्ग के लोग प्रदर्शन कर रहे थे|
कभी कभी कुछ कास्ट के लोग रिजर्वेशन के लिए प्रोटेस्ट करते रहते है|
JNU स्टूडेंट्स तो अपने आप को विक्टिम नंबर १ समझते ही है|
जनरल केटेगरी के लोग मानते है उनको रिजर्वेशन से नुकसान होता है |
कभी कभी मे सोचता हु के कोई ऐसा भी है भारत मे जो अपने आप को विक्टिम और शोषित नहीं मानता?